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एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण अनपढ़ था इसलिए वह कोई काम नहीं कर सकता था। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने उसे राजा के पास अपनी समस्या ले कर जाने की सलाह दी। ब्राह्मण ने राजा के पास जा कर उसे आशीर्वाद दिया। राजा ने ब्राह्मण से खुश हो कर एक पर्ची दी और उस पर्ची को खजांची के पास ले जा कर अपना इनाम लेने को कहा। ब्राह्मण बहुत खुश हुआ। वह अक्सर राजा के पास आने लगा।

जब मैं सड़क पर आई तो ठंडी और ताजी हवा के स्पर्श मात्र से ही मुस्करा पड़ी तभी मेरी नजर एक ज्योतिष-केन्द्र पर पड़ी तो वहाँ जाने से मैं खुद को रोक न सकी। अपने आप ही मेरे कदम उधर बढ़ गए। मैंने देखा, वहाँ भीड़ नहीं थी। वैसे तो ज्योतिष पर मुझे विश्वास नहीं था, पर अब थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा 

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।

मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

किसी जगह पर पीपल का एक बहुत बड़ा पेड़ था। वहां रहने वाले लोगों का यह मानना था की यह पीपल का पेड़ बहुत पवित्र है। कुछ समय बीता, वहां केराजा की एक बेटी हुई। बेटी का नाम रूपा रखा गया। रूपा को बाग़-बगीचे में खेलना बहुत अच्छा लगता था। जैसे ही रूपा की पढ़ाई पूरी होती, वह read more सीधे राज बगीचे में खेलने चली जाती।

मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।

नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

दिन बीतते गए और मोर पर्याप्त सुविधाओं के साथ एक महान जीवन व्यतीत करता था। धीरे-धीरे उनका अभिमान आसमान पर पहुंच गया। का संगी अपना अधिक समय मोर के साथ बिताती थी, परिणामस्वरूप वह अपनी गर्मी से पृथ्वी को गले नहीं लगा पाती थी। धरती ठंडी होने लगी और जंगल के जानवर बीमार और उदास रहने लगे। हर समय बारिश होने लगी, सब कुछ तबाह हो रहा था और पृथ्वी पर कोई खुशी नहीं बची थी।

कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।

लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल यशपाल

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन राधिका रमण प्रसाद सिंह

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